tag:blogger.com,1999:blog-37779082359057667212024-03-13T11:05:42.714-07:00अमृत बूंदबूँदें तो बहुत गिरती हैं, लेकिन कुछ ही बूँदें मोती बन पाती हैं.....Usha Girihttp://www.blogger.com/profile/15370565796073690220noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3777908235905766721.post-73907714373549436522010-08-20T12:20:00.000-07:002010-08-20T12:47:51.430-07:00कबीरा गरब ना कीजियेहम सब प्रतिदिन ईश्वर से प्रार्थना करते है कि वह हमे काम , क्रोध , मोह ,ईर्ष्या ,द्वेष इत्यादि कुटिल भावनाओ से दूर रखे ,परंतु इसके लिए हमे अपने सच्चे मन से प्रयत्न करना होगा । अगर हम ईश्वर से यह माँगते है कि सरलता , निर्भयता , अहंकारशून्यता आदि भावनाए हमारी संपत्ति बने , तो इसके लिए और भी सच्चे मन से प्रयास करना होगा । क्रोध बुद्धि को नष्ट कर देता है और ऐसा होने से ही सर्वनाश हो जाता है । ईर्ष्या और वैर कि भावना निकाल दे तो शांति , आनंद और सुख मिलता है । जिन व्यक्तियों को हम दीन-हीन अवस्था मे देखते है , उनमे से अधिकांश किसी के व्यंग्य बाणों , किसी भयंकर आलोचना , जलन , डाह , क्रोध और बदले कि भावना के शिकार होते है । इसी प्रकार विचारो का प्रभाव छूत के रोगो के समान है। हमारे इन दुर्गुणों के मूल मे हमारा अभिमान है । इसलिए कबीर ने कहा : <div> </div><div><br /></div><div> कबीरा गरब ना कीजिये , ऊँचा देख निवास । </div><div> काल्ह परे भुई लेटना ,ऊपर जमसी घास ॥ </div>Usha Girihttp://www.blogger.com/profile/15370565796073690220noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-3777908235905766721.post-43019382087592218272010-06-20T22:44:00.000-07:002010-06-20T23:00:19.172-07:00गुरुदेव की वाणी<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/_jqSIO6m9bcs/TB7_i9KCwFI/AAAAAAAAAAM/X5D4NuxFBbc/s1600/MC_PG_FI_4.jpg"><img style="float: right; margin: 0pt 0pt 10px 10px; cursor: pointer; width: 320px; height: 298px;" src="http://2.bp.blogspot.com/_jqSIO6m9bcs/TB7_i9KCwFI/AAAAAAAAAAM/X5D4NuxFBbc/s320/MC_PG_FI_4.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5485102372181164114" border="0" /></a><br />"कोई लौकिक और परलौकिक के बीच में जब <span>कोई </span>आपका एकांत भंग कर दे तब जो आनंद आता है वही परमानन्द है - पदार्थ आपकी मांग नहीं - भोजन पानी शरीर को चाहिए । "<br /><br /><br />"अगर आपके पास धन नहीं तो प्रेम बाटिये, देते रहिये, क्या पता, ईश्वर ने <span>आपको </span>निमित बनाया हो "<br /><br /><br />"कुछ लोग वातावरण ढूँढने जाते हैं, कुछ लोग वातावरण पैदा करते हैं"Usha Girihttp://www.blogger.com/profile/15370565796073690220noreply@blogger.com5