Sunday, June 20, 2010

गुरुदेव की वाणी


"कोई लौकिक और परलौकिक के बीच में जब कोई आपका एकांत भंग कर दे तब जो आनंद आता है वही परमानन्द है - पदार्थ आपकी मांग नहीं - भोजन पानी शरीर को चाहिए । "


"अगर आपके पास धन नहीं तो प्रेम बाटिये, देते रहिये, क्या पता, ईश्वर ने आपको निमित बनाया हो "


"कुछ लोग वातावरण ढूँढने जाते हैं, कुछ लोग वातावरण पैदा करते हैं"

5 comments:

  1. वातावरण बना पाना गुरुवर अवधेशानन्द जी के ही वश में है.....

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  3. गुरुवर के मुखारविंद से निकला हर शब्द अमृत बूँद....

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